स्विफ्ट चैट पोर्टल पर हाजिरी दर्ज नहीं करने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

स्विफ्ट चैट पोर्टल पर हाजिरी दर्ज नहीं करने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई, समय सीमा भी की तय

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर नई सख्ती बरती है। विभाग ने सभी जिला उपनिदेशकों, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के प्रिंसिपलों, हाई स्कूलों के हेडमास्टरों, बीईईओ और सीएचटी को निर्देश जारी किए हैं कि शिक्षकों की हाजिरी अब अनिवार्य रूप से स्विफ्ट चैट पोर्टल पर दर्ज की जाए। इसके लिए ग्रीष्म और शीत कालीन स्कूलों के लिए अलग समय भी तय कर दिया है।
ग्रीष्मकालीन स्कूलों में सभी शिक्षक व कर्मचारी सुबह 9:30 बजे तक अपनी हाजिरी पोर्टल पर दर्ज करेंगे। शीतकालीन स्कूलों में यह समय सीमा सुबह 10:30 बजे तय की गई है। स्कूल स्तर पर उपस्थिति का रिकॉर्ड भी अनिवार्य रूप से रखने को कहा गया है। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि कई बार यह पाया गया है कि शिक्षकों की उपस्थिति समय पर दर्ज नहीं हो रही है। इससे न केवल अनुशासन प्रभावित होता है बल्कि स्कूलों का संचालन भी प्रभावित होता है। ऐसे में यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इस नियम का पालन नहीं करता है तो उसकी जिम्मेदारी तय होगी और लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।
शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कहा कि समय पर हाजिरी से शिक्षण संस्थानों में अनुशासन आएगा और विद्यार्थियों की पढ़ाई का समय भी पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। डिजिटल पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज होने से पारदर्शिता भी बनी रहेगी और फिजिकल रिकॉर्ड के साथ ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी संभव होगी।
मार्च 2025 तक मास्टर डिग्री हासिल करने वाले टीजीटी अब प्रवक्ता बन सकेंगे। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने संशोधित वरिष्ठता सूची के आधार पर 2,644 टीजीटी से पदोन्नति के लिए विकल्प मांगे हैं। सात अक्तूबर तक इस संदर्भ में जानकारी भेजनी होगी। हाईकोर्ट ने मामले में समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एक बार दिया विकल्प सेवा अवधि के लिए अंतिम व अपरिवर्तनीय होगा। एक बार अध्यापक ने विकल्प दे दिया और उसी के अनुसार पदोन्नति हो गई तो भविष्य में वह अन्य चैनल में पदोन्नति का हकदार नहीं रहेगा।

शिक्षा निदेशालय ने संशोधित वरिष्ठता सूची (10 व 23 सितंबर 2025) के आधार पर 2,644 से अधिक प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों (टीजीटी) से प्रवक्ता (स्कूल न्यू) पद पर पदोन्नति के लिए नए विकल्प मांगे हैं। विभाग ने साफ किया है कि पहले भेजे गए केस अमान्य होंगे और अब केवल 25 मार्च 2025 तक मास्टर डिग्री हासिल करने वाले अध्यापक ही पात्र होंगे।