छत्रधारी चालदा महासू महाराज की कृपा से शमाह के युवा सेवादार रवाना
सेवा ही साधना, भक्ति ही पहचान
छत्रधारी चालदा महासू महाराज की कृपा से शमाह के युवा सेवादार रवाना
देशआदेश
छत्रधारी चालदा महासू महाराज जी के पश्मी (शिलाई) स्थित पावन मंदिर में एक वर्ष के ठहराव के अवसर पर महाराज के मूल गांव शमाह, तहसील कमरऊ से लगभग 90 युवा सेवादार श्रद्धा, आस्था और सेवा-भाव से ओतप्रोत होकर रवाना हुए। यह दल महाराज के आगमन, भंडारे, रात्रि सेवा तथा समस्त व्यवस्थाओं में तन-मन-धन से अपनी सेवाएं अर्पित करेगा।
ग्रामीणों ने बताया कि छत्रधारी चालदा महासू महाराज पहली बार टौंस नदी के पार उत्तराखंड के जौनसार क्षेत्र से देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के पश्मी (शिलाई) की ओर पधार रहे हैं। महाराज का प्रथम पड़ाव शिलाई क्षेत्र के द्राबिल-बागड़ी में होगा। इस ऐतिहासिक आगमन को लेकर प्रशासन, प्रबंधन समितियों, सामाजिक संस्थाओं तथा क्षेत्रवासियों द्वारा सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्व से ही सुनिश्चित कर ली गई हैं।
औपचारिक रूप से शमाह गांव की सेवाकार ड्यूटी निर्धारित की गई है, हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि महाराज की सेवा किसी आदेश या ड्यूटी की मोहताज नहीं होती। पश्मी में रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक निरंतर सेवा व्यवस्था के लिए 60 सेवाकारों की आवश्यकता होगी, जबकि 30 अतिरिक्त सेवाकार विश्राम व्यवस्था हेतु साथ रहेंगे। यह सेवा केवल व्यवस्था नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक है।
शमाह गांव के रणवीर शर्मा, सुमेर चंद नंबरदार, गुलाबी देवी (प्रधान), टीकाराम, सुरेश, देवेंद्र, भीम सिंह, राजेंद्र नेवाल, रमेश चंद शर्मा सहित अन्य श्रद्धालुओं ने भावुक स्वर में कहा कि हम सभी पर छत्रधारी चालदा महासू महाराज की अपार कृपा है। हमारा अस्तित्व, हमारी पहचान और हमारी आस्था उन्हीं से जुड़ी हुई है। वे हमारे कुलीष्ट देव हैं और उनकी सेवा में किसी भी प्रकार की कमी रह जाए, यह कल्पना भी असंभव है।
ग्रामीणों ने कहा कि सेवा-भाव से प्रेरित होकर सेवाकारों की संख्या और भी बढ़ सकती है, क्योंकि यह कार्य मानवीय प्रयास मात्र नहीं, बल्कि महाराज की प्रेरणा और कृपा से संचालित होता है। उन्होंने स्वयं को अत्यंत सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि महाराज की सेवा का अवसर मिलना जीवन का परम सौभाग्य है।
सभी युवा सेवादार पूर्ण श्रद्धा, अनुशासन और आवश्यक तैयारियों के साथ एकजुट होकर पश्मी महासू मंदिर के लिए रवाना हुए, ताकि सेवा के माध्यम से अपनी भक्ति को सार्थक कर सकें।

