भाजपा के राज में स्कूलों की दयनीय हालत, शिक्षकों की भी भारी कमी:AAP
*प्रदेश में 11 हजार 83 शिक्षकों की कमी 2100 से ज्यादा स्कूलों में 10 से कम बच्चे:मनीष ठाकुर,प्रदेश प्रवक्ता, आप*
*प्रदेश में युवाओं के साथ साथ बच्चों का भविष्य की जा रहा बर्बाद:मनीष ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, आप*
*साढ़े चार साल में स्कूलों को सुधारने की बजाय सरकार ने बन्द किए स्कूल: मनीष ठाकुर,प्रदेश प्रवक्ता, आप*
देशआदेश पांवटा साहिब
हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर प्रदेश की जयराम सरकार आम आदमी पार्टी के निशाने पर है। आम आदमी पार्टी ने पहले स्कूलों की दयनीय स्थिति को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है और अब शिक्षकों की कमी पर निशाना साधा है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष ठाकुर ने शिक्षा व्यवस्था की बदतर हालत पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि साढ़े चार साल के कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था की इतनी बुरी हालत शायद ही कभी हुई हो।सरकार की अनदेखी के चलते जहां 500 से ज्यादा सरकारी स्कूलों पर ताले लटक गए हैं वहीं जो स्कूल चल रहे हैं उसमें शिक्षकों की भारी कमी है। वर्तमान समय में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 11हजार 83 पद रिक्त चल रहे हैं. इनमें सबसे अधिक स्कूल लेक्चरर के 2248 पद रिक्त चल रहे हैं । इसके अलावा प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी अध्यापकों के 3,738 पद रिक्त पड़े हैं।
प्रदेश प्रवक्ता ने आकंड़ा देते हुए कहा कि प्रदेश में टीजीटी आर्ट्स के 125 पद, टीजीटी नॉन मेडिकल के कुल 396 पद, टीजीटी मेडिकल के 109 पद, शास्त्री के 781 पद, भाषा अध्यापकों के 100 पद, ड्राइंग मास्टर के 1714 पद खाली हैं. शारीरिक शिक्षकों के 1899 पद खाली हैं. जो सरकार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर किए जाने वाले दावों की पोल खोलता है। क्योंकि सरकार रोजगार के दावों को लेकर बड़ी बड़ी बातें करती है।
लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में न तो स्कूलों में शिक्षक बचे हैं और न ही बच्चे। ऐसे में कैसे प्रदेश के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा। प्रदेश सरकार की अनदेखी के चलते आज अभिभावक मजबूरी में निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। उन स्कूलों से भी इनकी मोटी सेटिंग है जो लाखों रुपए की फीस वसूली कर रही है।
*प्रदेश में शिक्षा का सुधार करने के लिए सिर्फ आम आदमी पार्टी का दिल्ली मॉडल ही है विकल्प*
मनीष ठाकुर ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 153 सरकारी स्कूलों पर ताला लटका है। इसके अलावा प्रदेश में 2100 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 10 या 10 से कम बच्चे हैं. वहीं विभिन्न जिलों में 10 हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के भवनों के दर्जनों कमरे विभिन्न कारणों से प्रयोग में नहीं लाए जा रहे हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में 27 प्राइमरी स्कूल भवन ऐसे हैं, जहां दो साल अथवा इससे भी अधिक समय से एक भी छात्र न होने की वजह से उन इमारतों व कमरों का प्रयोग नहीं हो रहा।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की जनता को अब बच्चों के भविष्य के प्रति गम्भीर होने की जरूरत है और इस बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर फेंककर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। इसलिए अब हिमाचल में दिल्ली मॉडल बनाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को हिमाचल में लाने की आवश्यकता है जो प्रदेश की स्कूलों की दशा और दिशा को सुधारकर बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाए।