Jan 31, 2025
HIMACHAL

उद्योगों की एक रुपये की सब्सिडी बंद करने के फैसले को चुनौती

HP High Court: उद्योगों की एक रुपये की सब्सिडी बंद करने के फैसले को चुनौती, 2 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

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हिमाचल प्रदेश में बड़े उद्योगों को प्रति यूनिट बिजली पर एक रुपये की सब्सिडी को बंद करने के फैसले को चुनौती दी गई है। अदालत ने राज्य सरकार सहित बिजली बोर्ड को भी अपना जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी।

HP High Court Challenge to the decision to stop one rupee subsidy to industries next hearing on January 2

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में बड़े उद्योगों को प्रति यूनिट बिजली पर एक रुपये की सब्सिडी को बंद करने के एकल न्यायाधीश के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई है। उद्योगों की ओर से उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश व वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर पेश हुए।

उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि सरकार की ओर से 3 मार्च 2024 को जारी अधिसूचना तर्कसंगत नहीं है। इसके तहत राज्य सरकार ने बड़े उद्योगों को मिलने वाली 1 रुपये की सब्सिडी को वापस लेने का निर्णय लिया था। उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिना सोचे-समझे ही राज्य सरकार की ओर से जारी सब्सिडी बंद करने की अधिसूचना को लागू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि टैरिफ और सब्सिडी दो अलग-अलग मुद्दे हैं। टैरिफ में सिर्फ साल में एक बार ही संशोधन किया जा सकता है, जबकि सब्सिडी को बिना टैरिफ संशोधन के बदलाव नहीं किया जा सकता है। 

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने सरकार से पूछा कि सब्सिडी को बंद करने का फैसले क्यों लिया गया।
अदालत ने राज्य सरकार सहित बिजली बोर्ड को भी अपना जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी। वहीं, सरकार व बिजली बोर्ड की ओर से दलीलें दी गईं कि सरकार ने टैरिफ में कोई संशोधन नहीं किया है। सिर्फ उद्योगों को सरकार की ओर से मिलने वाली 1 रुपये की सब्सिडी को बंद किया है।
उद्योगों का विवाद जारी किए गए बिजली के बिल से है। सरकार ने रेगुलेटरी कमीशन को सब्सिडी को वापस लेने पर अधिसूचना दी थी।
अधिसूचना के बाद ही आयोग ने सब्सिडी को वापस लेने का फैसला लिया था। बता दें कि एकल न्यायाधीश ने राज्य सरकार की ओर से उद्योगों को 1 रुपये मिलने वाली सब्सिडी को बंद करने के निर्णय को सही ठहराया था।
सरकार ने उद्योगों को 1 रुपये मिलने वाली सब्सिडी को बंद कर दिया था। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में कार्यरत करीब 200 कंपनियां प्रभावित हुई है।

मंगलवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों पर बड़ा फैसला आ सकता है।

Himachal News A big decision may come on Tuesday regarding jobs given on compassionate grounds

हिमाचल प्रदेश में करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों पर मंगलवार को बड़ा फैसला हो सकता है। मंगलवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में इस मामले को सुलझाने के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी की बैठक होगी।

 

 

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी और युवा सेवा एवं खेल मंत्री यादवेंद्र गोमा भी बैठक में मौजूद रहेंगे। बीते 2 साल से नौकरियों के लिए संघर्षरत सैकड़ों करुणामूलक आश्रित युवाओं को इस बैठक से राहत मिल सकती है।

विभागीय अधिकारियों ने बताया कि करुणामूलक आश्रितों के लिए सरकारी नौकरी की राह आसान करने के लिए कई नियमों में छूट देने की तैयारी है। इसके तहत वार्षिक आयसीमा में बढ़ोतरी की जा सकती है। एक बार रिजेक्ट केस पर दोबारा विचार न करने की शर्त को भी वापस लिया जा सकता है।

वन टाइम सेटलमेंट के तहत हजारों आश्रितों को राहत देने की कैबिनेट सब कमेटी ने योजना बनाई है। मंगलवार को होने वाली बैठक में कमेटी की सिफारिशों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा।

सरकारी नौकरी में रहते किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने की व्यवस्था है।
करुणामूलक आधार पर योग्यता के आधार पर सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में इस प्रकार के 3234 मामले लंबित पड़े हैं। विभागों में 1531 और निगम-बोर्ड में 1703 मामलों में आश्रित उच्च शिक्षा प्राप्त होने के कारण उच्च पदों पर नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं।

उच्च अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने करुणामूलक आधार पर नौकरी का इंतजार कर रहे लोगों का विभागों से ब्योरा कुछ माह पूर्व तलब किया था।

सरकार एक नई करुणामूलक रोजगार नीति बनाने पर विचार कर रही है। सेवा के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले लोगों को रोजगार देने के लिए उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से कार्य किया जा रहा है।

उच्च अधिकारियों ने बताया कि करुणामूलक आश्रितों को नौकरी देने के लिए तय 62,500 रुपये एक व्यक्ति की सालाना आय शर्त को खत्म किया जा सकता है। आय सीमा को 2.50 लाख रुपये तक तय किया जा सकता है।
इसके अलावा जयराम सरकार के समय में 22 सितंबर 2022 को जारी अधिसूचना को भी वापस लेने पर विचार चल रहा है। पूर्व सरकार ने इस अधिसूचना के तहत एक बार रिजेक्ट केस पर दोबारा विचार नहीं करने का फैसला लिया है। इस अधिसूचना के कारण कई करुणामूलक आश्रित नौकरी की दौड़ से बाहर हो रहे हैं।