नाग पंचमी 21 को, पूजा करने से दूर होगी राहु की महादशा
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पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा।
पंचमी तिथि की शुरुआत 20 अगस्त को रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 22 अगस्त को रात दो बजकर एक मिनट पर होगा।
ज्योतिषी गिरीश आहूजा ने बताया नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। नागों में खासकर वासुकि नाग की पूजा होती है।
नाग पंचमी का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 21 बजे से रात 10 बजे तक होगा। इसमें राहुकाल सुबह सात बजकर 31 बजे से नौ बजकर 10 बजे तक होगा।
इनकी कुंडली में राहु की महादशा अंतर्दशा या राहु बुरे प्रभाव में बैठे हैं, उन्हें नाग पंचमी के दिन राहु काल में पूजा करनी चाहिए।
नागपंचमी के दिन वासुकि, अनंत, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नाग देवता की पूजा करने से व्यक्ति को नागों का भय नहीं रहता है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें भी इस दिन पूजा करने से अनेक कष्टों एवं बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सांप को दूध से नहलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
शुभ योग का निर्माण
इस दिन भगवान शिव का प्रिया दिन सोमवार एवं शुभ योग का संयोग बन रहा है जो सुबह से रात 10.20 तक रहेगा। इस दिन शिव की पूजा के साथ साथ नागदेवता की भी पूजा होगी।
यह होता है कालसर्प दोष
ज्योतिषी ने बताया जब कुंडली में राहु और केतु 180 डिग्री पर आमने-सामने आ जाते हैं और बाकी 7 ग्रह इनके दूसरी तरफ हो जाते हैं, तब कालसर्प दोष होता है। कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं।
ये है उपाय
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी के दिन राहुकाल में भगवान शिव की पूजा कराएं। भगवान शिव की कृपा से कालसर्प दोष मिट जाएगा।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी पर चांदी के नाग या तांबे के नागिन के जोड़े की पूजा करें।
कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करते हुए उसे नदी के जल में प्रवाहित कर दें। कालसर्प दोष के कारण आई रुकावटें अड़चनें दूर होंगी।
नाग पंचमी के दिन श्रीसर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए। इससे लाभ मिलता है।
नाग पंचमी के दिन राहु केतु की शांति के लिए इस दिन रूद्राभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है। जिनकी कुंडली में राहु की दशा चल रही हो या राहु बुरे प्रभाव में हो, उन्हें इस दिन शिवलिंग पर नाग देवता पर दूध से अभिषेक करना चाहिए और राहु बीज मंत्र ॐ रां राहवे नमः का जाप करना चाहिए।