Jun 6, 2025
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अब ओटीपी से मिलेगा डिपो का राशन

Himachal News: हिमाचल प्रदेश में अब लोगों को ओटीपी से मिलेगा डिपो का राशन, आधार मशीनों की वैधता खत्म; जानें

Now people in Himachal will get ration from the depot through OTP the validity of Aadhar machines ends

हिमाचल प्रदेश के डिपुओं में राशन लेने की प्रक्रिया अब बदल जाएगी। उपभोक्ताओं को अब अंगूठा लगाने की बजाय मोबाइल पर आए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) से पहचान करनी होगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में इस्तेमाल हो रही आधार प्रमाणीकरण डिवाइस की वैधता खत्म हो चुकी है।

खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इन मशीनों की वैधता बढ़ाने की मांग की है। यदि एक्सटेंशन नहीं मिली तो नई मशीनों की खरीद के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वर्तमान में उपयोग में लाई जा रही बायोमीट्रिक मशीनें एल-जीरो श्रेणी की हैं, जिन्हें यूआईडीएआई द्वारा बंद कर दिया गया है। नई गाइडलाइन के अनुसार अब एल-वन स्तर की मशीनें ही मान्य होंगी। ऐसे में सभी डिपो में पुरानी को हटाकर नई मशीनें लगानी होंगी। 

 

पुरानी मशीनों से अंगूठे की पहचान में बार-बार समस्या आ रही थी। कई उपभोक्ताओं की उंगलियों के निशान स्कैन नहीं हो पा रहे थे, जिससे राशन लेने में उन्हें परेशानी हो रही थी। इस समस्या को देखते हुए एल वन डिवाइस लगाने का निर्णय लिया गया है। राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने केंद्र से पुराने डिवाइस उपयोग करने के लिए एक्सटेंशन की मांग करते हुए आवेदन भेजा है। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एक्सटेंशन मिलेगी या नहीं। अगर एक्सटेंशन नहीं मिलती है तो,जब तक नई एल-वन डिवाइस नहीं लगतीं, तब तक सभी उपभोक्ताओं को ओटीपी के माध्यम से ही राशन मिलेगा।

 

 

 

 

प्रदेश में करीब 19 लाख उपभोक्ता सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभान्वित हो रहे हैं। एक्सटेंशन ने मिलने की स्थिति में विभागीय अधिकारियों के अनुसार उपभोक्ताओं को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा, जिसे दिखाकर वे राशन प्राप्त कर सकेंगे। विभाग का कहना है कि वितरण प्रणाली को बाधित नहीं होने देना है। इसलिए अंतरिम व्यवस्था के तौर पर उपभोक्ताओं को अब ओटीपी के जरिये राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है।

राशन वितरण में फर्जीवाड़ा रोकने को जरूरी हैं ये मशीनें
गौरतलब है कि आधार प्रमाणीकरण डिवाइस का उपयोग लाभार्थियों की डिजिटल पहचान सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, जिससे यह तय हो सके कि राशन सही व्यक्ति को मिल रहा है। अंगूठे की बायोमेट्रिक पहचान से फर्जीवाड़ा रुकता है और वितरण प्रणाली पारदर्शी रहती है।

विभाग के पास इस समय जो मशीनें हैं, वह 2017 में खरीदी गई थीं और उनकी तकनीकी वैधता भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अधीन आती है। अब इन मशीनों की वैलिडिटी पूरी हो चुकी है और उन्हें तकनीकी रूप से अधिकृत नहीं माना जा रहा। एक माह की एक्सटेंशन के लिए केंद्र सरकार को आग्रह किया है। अगर एक्सटेंशन नहीं मिलती है तो जल्द ही एल वन मशीनों की खरीद के लिए टेंडर अवार्ड कर दिया जाएगा।- सुरेंद्र सिंह राठौर, अतिरिक्त निदेशक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग

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