भगवान कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी के दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और बुधवार को अर्द्धरात्रि में हुआ था। इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 9:21 मिनट से शुरू होगी, जो 19 अगस्त की रात 11 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस वर्ष जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस इस बार भी दो दिन मनाया जाएगा। आज रात्रि 9.22 के बाद अष्टमी आ जाएगी और 19 अगस्त को सुबह 11 बजे तक रहेगी। इसके चलते 18 अगस्त को ही व्रत रखा जाएगा। 19 को जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी बताते हैं कि जन्माष्टमी ध्रुव और वृद्धि योग में मनाई जाएगी। 18 अगस्त की रात में 8.42 बजे तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा जो 19 अगस्त को रात 8.59 बजे तक रहेगा। हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं।
नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी के मुताबिक गृहस्थ जीवन वाले भगवान श्री कृष्ण जन्म से पूर्व व्रत रखते हैं। रात्रि 12 बजे कृष्ण जन्म के बाद व्रत का परायण करते हैं। संन्यासी कृष्ण जन्म के बाद उत्सव से रूप में जन्माष्टमी मनाते हैं।
निशीथ पूजा समय 18 अगस्त की रात 12.3 बजे से लेकर 12.47 बजे तक है। निशीथ पूजा की कुल अवधि 44 मिनट की है। पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र देर रात 1.53 बजे तक रहेगा।